....TO MY BELOVED MOTHERLAND....
...............KASHMIR...............
.....उनीस-जनवरी-उनीस-सों-नब्बे....
..........19 January, 1990...........
एक रोता हुवा पंडित, एक कश्मीर याद रखना..
मेरी कहानी का ये दिनं याद रखना..
उनीस-जनवरी-उनीस-सों-नब्बे......
उनीस-जनवरी-उनीस-सों-नब्बे......
ना सताया किसी को, ना ड़राया किसी को..
ना घरो मे किसी के मैने पत्थर ही फैंके..
तो क्यू मेरे घर को जलाया किसी ने?
नहीं गोलीयो से बचाया किसी ने..
मेरे भुजुर्गो को लहू मे डुबाकर..
अज्जानो मे फिर सर झुकाया किसी ने..
एक सहमा सा बच्चा, और एक डर याद रखना..
जन्नत की तबाही का ये दिनं याद रखना...
उनीस-जनवरी-उनीस-सों-नब्बे......
उनीस-जनवरी-उनीस-सों-नब्बे......
बस यही जूर्म था मैं कश्मीरी पंडित..
यही गुनाह था मेरे माथे तिलक था..
सियासत मे मेरी गिन्नती नही थी..
तो मुझे इंसाफ की ज़रूरत नही थी??
सरकारे तो शायद भूल गयी, पर हमे याद है..
उनीस-जनवरी-उनीस-सों-नब्बे......
उनीस-जनवरी-उनीस-सों-नब्बे......
अब भी आँखो में सपना है घर लौट जाने का..
अब भी वो गल्लियां मुझे वापस बुलाती है..
अधूरा मेरा बचपन वही रुक सा गया है..
अब तक मुझे माँ की आवाज आती है..
तारीखे तो तब से बदल गयी, पर हमे याद है..
हिन्दुस्तान तो हमको भूल गया, पर हमे याद है..
उनीस-जनवरी-उनीस-सों-नब्बे......
उनीस-जनवरी-उनीस-सों-नब्बे......
Advocate Vikas Padora
Twitter : @vikaspadora
No comments:
Post a Comment