यासीन मलिक के काले कारनामों से केंद्र अनजान!
May 06, 02:23 am
संदीप देव, [नई दिल्ली]। यासीन मलिक, जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट [जेकेएलएफ] का वह नेता, जिसके डर से कभी कश्मीर घाटी थर्राती थी..जो कभी कश्मीरी पंडितों के लिए आतंक का दूसरा नाम था.. जिस पर तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण और एयरफोर्स के चार निहत्थे जवानों को सरेआम गोलियों से भूनने का मामला आज भी लंबित है..! आपको जानकार आश्चर्य होगा कि केंद्र सरकार यासीन मलिक के इन काले कारनामों से अनजान है! हालांकि सरकार के इस झूठ का पुलिंदा सीबीआई की एक रिपोर्ट से जाहिर हो जाती है!
'रूट इन कश्मीर' के सक्रिय कार्यकर्ता रशनीक खेर द्वारा सूचना के अधिकार के तहत यासीन मलिक पर दर्ज मुकदमे के संबंध में मांगी गई जानकारी के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा है कि ऐसी कोई जानकारी मंत्रालय के कश्मीर डिवीजन के पास नहीं मौजूद नहीं है। सरकार के इस झूठ का पर्दाफाश उस वक्त हो गया जब एक अन्य आरटीआई के जवाब में सीबीआई ने यासीन मलिक पर दर्ज दो हाई प्रोफाइल मामले की जानकारी दी। सीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक यासीन मलिक पर जम्मू की टाडा अदालत में एयरफोर्स पर्सनल मर्डर केस /90-एससीयू.वी/एससीआर-2) एवं डा. रूबिया सईद अपहरण (7(एस/90-एससीयू.वी/एससीआर-2)) का मामला लंबित है। इन दोनों मामलों में पिछले 18 साल से यासीन मलिक के खिलाफ आरोप तय नहीं हुआ है और तो और यासीन मलिक को सरकार ने पासपोर्ट भी जारी किया हुआ है, जिस पर वह अमेरिका तक की यात्रा कर चुका है। महत्वपूर्ण है कि यदि किसी व्यक्ति पर आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होने का मामला दर्ज है तो उसे पासपोर्ट एक्ट के तहत पासपोर्ट जारी नहीं किया जा सकता है। इस संबंध में पूछे गए सवाल पर गृह मंत्रालय का जवाब है कि यासीन मलिक को राज्य सरकार व सीआईडी की संस्तुति पर पासपोर्ट जारी किया गया है।
ज्ञात हो कि 8 दिसंबर 1989 को जब तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी डा. रूबिया सईद का जेकेएलएफ के आतंकियों ने अपहरण कर लिया था। उसे छुड़ाने के एवज में सरकार को चार खूंखार आतंकियों को रिहा करना पड़ा था। इसी तरह 25 जनवरी 1990 को एयरफोर्स के चार जवानों को कश्मीर के एक बस स्टैंड पर जेकेएलएफ के आतंकियों ने गोलियों से भून दिया था। चारों निहत्थे जवान बस पर चढ़ने के लिए खड़े थे। दोनों मामले में सीबीआई ने यासीन मलिक के खिलाफ टाडा अदालत में चार्जशीट दाखिल कर रखा है, लेकिन मुकदमे में जानबूझ कर की जा रही देरी का नतीजा यह है कि उसके खिलाफ आज तक आरोप भी तय नहीं हो सका है। ज्ञात हो कि इसी तरह से जेकेएलएफ के एक अन्य आतंकी बिट्टा को 16 वर्ष जेल में रखने के बावजूद चार्जशीट तक फाइल नहीं किया गया था। सरकार ने उसे पैरोल पर छोड़ा और उसके बाद से वह गायब है।
May 06, 02:23 am
संदीप देव, [नई दिल्ली]। यासीन मलिक, जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट [जेकेएलएफ] का वह नेता, जिसके डर से कभी कश्मीर घाटी थर्राती थी..जो कभी कश्मीरी पंडितों के लिए आतंक का दूसरा नाम था.. जिस पर तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण और एयरफोर्स के चार निहत्थे जवानों को सरेआम गोलियों से भूनने का मामला आज भी लंबित है..! आपको जानकार आश्चर्य होगा कि केंद्र सरकार यासीन मलिक के इन काले कारनामों से अनजान है! हालांकि सरकार के इस झूठ का पुलिंदा सीबीआई की एक रिपोर्ट से जाहिर हो जाती है!
'रूट इन कश्मीर' के सक्रिय कार्यकर्ता रशनीक खेर द्वारा सूचना के अधिकार के तहत यासीन मलिक पर दर्ज मुकदमे के संबंध में मांगी गई जानकारी के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा है कि ऐसी कोई जानकारी मंत्रालय के कश्मीर डिवीजन के पास नहीं मौजूद नहीं है। सरकार के इस झूठ का पर्दाफाश उस वक्त हो गया जब एक अन्य आरटीआई के जवाब में सीबीआई ने यासीन मलिक पर दर्ज दो हाई प्रोफाइल मामले की जानकारी दी। सीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक यासीन मलिक पर जम्मू की टाडा अदालत में एयरफोर्स पर्सनल मर्डर केस /90-एससीयू.वी/एससीआर-2) एवं डा. रूबिया सईद अपहरण (7(एस/90-एससीयू.वी/एससीआर-2)) का मामला लंबित है। इन दोनों मामलों में पिछले 18 साल से यासीन मलिक के खिलाफ आरोप तय नहीं हुआ है और तो और यासीन मलिक को सरकार ने पासपोर्ट भी जारी किया हुआ है, जिस पर वह अमेरिका तक की यात्रा कर चुका है। महत्वपूर्ण है कि यदि किसी व्यक्ति पर आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होने का मामला दर्ज है तो उसे पासपोर्ट एक्ट के तहत पासपोर्ट जारी नहीं किया जा सकता है। इस संबंध में पूछे गए सवाल पर गृह मंत्रालय का जवाब है कि यासीन मलिक को राज्य सरकार व सीआईडी की संस्तुति पर पासपोर्ट जारी किया गया है।
ज्ञात हो कि 8 दिसंबर 1989 को जब तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी डा. रूबिया सईद का जेकेएलएफ के आतंकियों ने अपहरण कर लिया था। उसे छुड़ाने के एवज में सरकार को चार खूंखार आतंकियों को रिहा करना पड़ा था। इसी तरह 25 जनवरी 1990 को एयरफोर्स के चार जवानों को कश्मीर के एक बस स्टैंड पर जेकेएलएफ के आतंकियों ने गोलियों से भून दिया था। चारों निहत्थे जवान बस पर चढ़ने के लिए खड़े थे। दोनों मामले में सीबीआई ने यासीन मलिक के खिलाफ टाडा अदालत में चार्जशीट दाखिल कर रखा है, लेकिन मुकदमे में जानबूझ कर की जा रही देरी का नतीजा यह है कि उसके खिलाफ आज तक आरोप भी तय नहीं हो सका है। ज्ञात हो कि इसी तरह से जेकेएलएफ के एक अन्य आतंकी बिट्टा को 16 वर्ष जेल में रखने के बावजूद चार्जशीट तक फाइल नहीं किया गया था। सरकार ने उसे पैरोल पर छोड़ा और उसके बाद से वह गायब है।
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