संदीप देव, नई दिल्ली जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के नेता यासीन मलिक के इतिहास पर पर्दा डालने के लिए भले ही गृह मंत्रालय उसके कारनामों के प्रति अनभिज्ञता जाहिर करे, लेकिन उसकी दास्तान जम्मू-कश्मीर के 12 थानों में आज भी दर्ज है। हत्या, अपहरण, हत्या के प्रयास जैसे मामले तो उस पर दर्ज हैं ही-फेरा, हवाला, टाडा व पोटा कानून के तहत देशद्रोह जैसे मामलों में भी वह कई वर्षो तक सलाखों के पीछे रह चुका है। ताज्जुब यह है कि गृह मंत्रालय के कश्मीर डिविजन के पास इसकी जानकारी तक नहीं है। यासीन पर जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग थानों में 23 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसके बावजूद वह कई वर्षो से अपनी राजनीतिक हैसियत स्थापित करने में लगा है। हालांकि, हकीकत यही है-केंद्र भले ही अनजान, यासीन के कारनामों की कम नहीं है दास्तान। केंद्र सरकार सूचना के अधिकार कानून का माखौल किस तरह से उड़ा रही है, इसकी बानगी यासीन मलिक मामले में देखने को मिलती है। उस पर दर्ज आपराधिक मामले और उसके खिलाफ चल रहे मुकदमे की जानकारी से संबंधित एक आरटीआई के जवाब में सरकार ने कहा है कि गृह मंत्रालय के कश्मीर डिवीजन के पास यासीन से संबंधित कोई सूचना नहीं है। दैनिक जागरण ने मंत्रालय की इस सूचना का पर्दाफाश करने के लिए विश्र्वसनीय स्रोत के जरिए यासीन पर दर्ज 23 आपराधिक मामलों की जानकारी हासिल की है। इसमें जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के जज नीलकंठ गंजू, पूर्व गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की पुत्री रुबिया सईद की पुत्री का अपहरण और एयरफोर्स के चार निहत्थे जवानों, भाजपा नेता टिकलाल टपलू, दूरदर्शन के निदेशक लसाकोल एवं नर्स सरला की हत्या जैसे बहुचर्चित मामले भी शामिल हैंै। हालांकि जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक कुलदीप खुड्डा ने जागरण से बातचीत में स्वीकार किया है कि यासीन मलिक के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं और उस पर ट्रायल चल रहा है। वर्तमान में वह जमानत पर जेल से बाहर है। उधर, उधमपुर- कठुआ के कांग्रेस सांसद लाल सिंह का कहना है-यासीन मलिक एक देशद्रोही है, जिसे सरकार ने छोड़ रखा है। इससे अधिक वह और क्या कह सकते हैं।
"Roots In Kashmir" is an initiative launched by us, the Kashmiri Pandit Youth, to reclaim our Roots that identify us. Even though we have been hounded out of our homes and hearths in the Kashmir valley, our "Roots" are very much anchored in the Vitasta Valley. This is an initiative to protest and raise the general awareness of public to a level where our "fight for our roots" is felt, heard and acted upon. rootsinkashmir@outlook.com
Wednesday, May 7, 2008
Some more dirt on Yasin Malik-Dainik Jaagran expose Part-II
यासीन के कारनामों की कम नहीं दास्तान!
संदीप देव, नई दिल्ली जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के नेता यासीन मलिक के इतिहास पर पर्दा डालने के लिए भले ही गृह मंत्रालय उसके कारनामों के प्रति अनभिज्ञता जाहिर करे, लेकिन उसकी दास्तान जम्मू-कश्मीर के 12 थानों में आज भी दर्ज है। हत्या, अपहरण, हत्या के प्रयास जैसे मामले तो उस पर दर्ज हैं ही-फेरा, हवाला, टाडा व पोटा कानून के तहत देशद्रोह जैसे मामलों में भी वह कई वर्षो तक सलाखों के पीछे रह चुका है। ताज्जुब यह है कि गृह मंत्रालय के कश्मीर डिविजन के पास इसकी जानकारी तक नहीं है। यासीन पर जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग थानों में 23 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसके बावजूद वह कई वर्षो से अपनी राजनीतिक हैसियत स्थापित करने में लगा है। हालांकि, हकीकत यही है-केंद्र भले ही अनजान, यासीन के कारनामों की कम नहीं है दास्तान। केंद्र सरकार सूचना के अधिकार कानून का माखौल किस तरह से उड़ा रही है, इसकी बानगी यासीन मलिक मामले में देखने को मिलती है। उस पर दर्ज आपराधिक मामले और उसके खिलाफ चल रहे मुकदमे की जानकारी से संबंधित एक आरटीआई के जवाब में सरकार ने कहा है कि गृह मंत्रालय के कश्मीर डिवीजन के पास यासीन से संबंधित कोई सूचना नहीं है। दैनिक जागरण ने मंत्रालय की इस सूचना का पर्दाफाश करने के लिए विश्र्वसनीय स्रोत के जरिए यासीन पर दर्ज 23 आपराधिक मामलों की जानकारी हासिल की है। इसमें जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के जज नीलकंठ गंजू, पूर्व गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की पुत्री रुबिया सईद की पुत्री का अपहरण और एयरफोर्स के चार निहत्थे जवानों, भाजपा नेता टिकलाल टपलू, दूरदर्शन के निदेशक लसाकोल एवं नर्स सरला की हत्या जैसे बहुचर्चित मामले भी शामिल हैंै। हालांकि जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक कुलदीप खुड्डा ने जागरण से बातचीत में स्वीकार किया है कि यासीन मलिक के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं और उस पर ट्रायल चल रहा है। वर्तमान में वह जमानत पर जेल से बाहर है। उधर, उधमपुर- कठुआ के कांग्रेस सांसद लाल सिंह का कहना है-यासीन मलिक एक देशद्रोही है, जिसे सरकार ने छोड़ रखा है। इससे अधिक वह और क्या कह सकते हैं।
संदीप देव, नई दिल्ली जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के नेता यासीन मलिक के इतिहास पर पर्दा डालने के लिए भले ही गृह मंत्रालय उसके कारनामों के प्रति अनभिज्ञता जाहिर करे, लेकिन उसकी दास्तान जम्मू-कश्मीर के 12 थानों में आज भी दर्ज है। हत्या, अपहरण, हत्या के प्रयास जैसे मामले तो उस पर दर्ज हैं ही-फेरा, हवाला, टाडा व पोटा कानून के तहत देशद्रोह जैसे मामलों में भी वह कई वर्षो तक सलाखों के पीछे रह चुका है। ताज्जुब यह है कि गृह मंत्रालय के कश्मीर डिविजन के पास इसकी जानकारी तक नहीं है। यासीन पर जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग थानों में 23 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसके बावजूद वह कई वर्षो से अपनी राजनीतिक हैसियत स्थापित करने में लगा है। हालांकि, हकीकत यही है-केंद्र भले ही अनजान, यासीन के कारनामों की कम नहीं है दास्तान। केंद्र सरकार सूचना के अधिकार कानून का माखौल किस तरह से उड़ा रही है, इसकी बानगी यासीन मलिक मामले में देखने को मिलती है। उस पर दर्ज आपराधिक मामले और उसके खिलाफ चल रहे मुकदमे की जानकारी से संबंधित एक आरटीआई के जवाब में सरकार ने कहा है कि गृह मंत्रालय के कश्मीर डिवीजन के पास यासीन से संबंधित कोई सूचना नहीं है। दैनिक जागरण ने मंत्रालय की इस सूचना का पर्दाफाश करने के लिए विश्र्वसनीय स्रोत के जरिए यासीन पर दर्ज 23 आपराधिक मामलों की जानकारी हासिल की है। इसमें जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के जज नीलकंठ गंजू, पूर्व गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की पुत्री रुबिया सईद की पुत्री का अपहरण और एयरफोर्स के चार निहत्थे जवानों, भाजपा नेता टिकलाल टपलू, दूरदर्शन के निदेशक लसाकोल एवं नर्स सरला की हत्या जैसे बहुचर्चित मामले भी शामिल हैंै। हालांकि जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक कुलदीप खुड्डा ने जागरण से बातचीत में स्वीकार किया है कि यासीन मलिक के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं और उस पर ट्रायल चल रहा है। वर्तमान में वह जमानत पर जेल से बाहर है। उधर, उधमपुर- कठुआ के कांग्रेस सांसद लाल सिंह का कहना है-यासीन मलिक एक देशद्रोही है, जिसे सरकार ने छोड़ रखा है। इससे अधिक वह और क्या कह सकते हैं।
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